
मां का अद्भुत तप और बेटे का जज्बा (Mother’s Sacrifice & Son’s Determination)
IAS Success Story: “भगवान हर जगह नहीं हो सकते, इसलिए उन्होंने मां को बनाया है।” यह कथन 23 वर्षीय मनु गर्ग (Manu Garg) के जीवन पर बिल्कुल सटीक बैठता है। नेत्रहीन होने के बावजूद, मनु ने न सिर्फ देश की सबसे कठिन परीक्षा यूपीएससी सिविल सर्विसेज (UPSC Civil Services) में सफलता पाई, बल्कि ऑल इंडिया रैंक (AIR)-91 हासिल की। जयपुर के शास्त्री नगर के रहने वाले मनु के इस सफर के पीछे उनकी मां की अनथक मेहनत और उनकी खुद की अटूट मेहनत (Perseverance) है।
अंधेरी दुनिया में भी चमकता मनु (From Darkness to Brilliance)
मनु जब 8वीं क्लास में थे, तो उनकी बची हुई रोशनी भी चली गई। वे ब्लैकबोर्ड (Blackboard) तक नहीं देख पाते थे। डॉक्टरों की कई यात्राओं के बावजूद कोई फायदा नहीं हुआ। यह एक दुर्लभ जेनेटिक डिसऑर्डर (Rare Genetic Disorder) था जिसने उनकी रेटिना को प्रभावित किया।
लेकिन मनु ने कभी सपने देखने से हार नहीं मानी। “जब दुनिया अंधेरी हुई, तो मैं और भी उज्जवल (Brighter) हो गया।”
मां बनी आंखों की रोशनी (Mother: The Guiding Light)
मनु की मां (Mother) ने बेटे के लिए सिर्फ सहारा नहीं दिया, बल्कि टीचर (Teacher), दोस्त (Friend), रीडर (Reader) और सबसे बड़ी ताकत बनकर उनके हर कदम को आसान बनाया। मनु बताते हैं, “मां घंटों मेरे पास बैठतीं, हर लाइन, हर चैप्टर पढ़तीं। ब्रेल (Braille) के बिना पढ़ना असंभव लगता था, लेकिन मां ने उसे संभव (Possible) बना दिया।”
मनु पूरी तरह से ऑडियो (Audio) पर निर्भर थे, और मां ने उनकी दुनिया में रोशनी का काम किया।
शिक्षा और अकादमिक सफर (Education Journey)
– स्कूलिंग: जयपुर के सेंट जेवियर्स स्कूल (St. Xavier’s School) से।
– अंडरग्रेजुएशन: दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज (Hindu College, Delhi University) से पॉलिटिकल साइंस।
– मास्टर्स: जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) से।
– पीएचडी: वर्तमान में JNU में।
स्कूल और कॉलेज में वे हमेशा टॉपर (Topper) रहे। पढ़ाई में उनका समर्पण और मेहनत (Dedication & Hard Work) हर जगह नजर आती थी।
डिबेटिंग में स्टार डिबेटर (Star Debater)
मनु ने देशभर में 150+ वाद-विवाद (Debate) प्रतियोगिताओं में जीत हासिल की। कॉलेज लाइफ में वे स्टार डिबेटर (Star Debater) बन गए। मनु कहते हैं, “वाद-विवाद ने मुझे एक आवाज़ (Voice) दी, उस दुनिया में जहां लोग अक्सर नजरें (Eyes) फेर लेते हैं।”
टेक्नोलॉजी से जीत हासिल की (Technology: The Game Changer)
नेत्रहीन होने के बावजूद मनु ने UPSC की तैयारी (Preparation) में टेक्नोलॉजी का पूरा सहारा लिया।
– स्क्रीन रीडर (Screen Reader)
– फोन पर टॉकबैक टूल (Talkback Tool)
– ऑडियो पीडीएफ (Audio PDF)
– ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्निशन (OCR Software)
दोस्तों ने व्हाट्सएप नोट्स और PDF कन्वर्ट करके भी मदद की।
असफलता ने नहीं रोका, दूसरी कोशिश में सफलता (Failure to Success)
2023 में पहला अटेम्प्ट (First Attempt) सफल नहीं रहा। प्रीलिम्स पास करने के बावजूद मेन्स में रह गए। लेकिन मनु ने हार नहीं मानी।
– वैकल्पिक विषय: पॉलिटिकल साइंस और इंटरनेशनल रिलेशन्स (Political Science & International Relations)
– नई रणनीति: घंटों की बजाय डेली टारगेट (Daily Targets)
मां ने हर दिन किताबें पढ़कर सुनाईं, स्टडी मैटेरियल व्यवस्थित किया और मुश्किल समय में हौसला बढ़ाया।
आज का मनु गर्ग: प्रेरणा का स्रोत (Inspiration for Millions)
मनु गर्ग की कहानी सिर्फ UPSC पास करने की नहीं, बल्कि अडिग संकल्प (Unwavering Determination), मां के प्यार और तकनीकी साधनों के सही उपयोग की मिसाल है। आज उनकी सफलता ने हजारों युवाओं (Youngsters) को यह सिखाया है कि अंधेरे में भी उजाला पाया जा सकता है।
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