सबसे बड़ा शोध राष्ट्र प्रेम है। आइए हम सभी अपने देश के प्रति ईमानदारी से कर्तव्य का पालन करें। यही देश के प्रति सबसे बड़ी पूजा है।
!! राष्ट्र प्रेम !!
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राष्ट्र है आज तो
कल भिनुसार है।
देश के प्रेमी से
यही तो पुकार है।।
प्रेम करो देश से
प्रेम सुखपाल है।
धरती गगन भी
प्रेम मे निहाल है।।
राष्ट्र है आभूषण
गले के वो हार है।
खुशी है जिंदगी मे
वसंत का बहार है।।
संपत्ति सुख है
राष्ट्र है धरोहर।
कर्तव्य पथ है
स्नान कर सरोवर।।
फुल खिले हैं यहां
रंग बहुरंग।
समीर मे है खुशबु
मन मे उमंग।।
चलो कदम बढ़ाए
ईमान के डगर।
प्रेम और त्याग से
कर्म का लहर।।
राष्ट्र अपना सुंदर
जग मे कहां?
भारत की महिमा
रस गाते जहां।।
रचना –
प्रो. डीपी कोरी
प्राचार्य
शासकीय महाविद्यालय, विश्रामपुर