Krishna Janmashtami: ‘हे गोविंद लीलाधारी…’ श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर प्रो. डीपी कोरी द्वारा रचित कविता


Krishna Janmashtami 2024: जब-जब धरती में अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब परमात्मा का धरती में अवतरण होते है और धर्म की स्थापना करते हैं। आज जन्माष्टमी है, सुदर्शन धारी वासुदेव श्रीकृष्ण का अवतरण दिवस है।
           
!! हरे कृष्ण हरे राम !!
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हे गोविंद लीलाधारी
योगेश्वर कहलाए हैं।
नामो के है नामधारी
अवतरित होकर आए हैं।।
                  हे माधव मदन मुरारी
                  ओट दधि लपटाए हैं।
                  ग्वाल बाल के संग में
                  माखन चोर कहलाए हैं।।
हे नटनागर तु बनवारी
अद्भुत रूप दिखाएं हैं।
मां जशोदा के गोद में
नंद नयन समाएं हैं।।
                  हे दुखभंजन तू गिरधारी
                  भगवत प्रेम बरसाए हैं।
                  गोपियों के हृदय मंडल
                  रूप अपना बसाएं हैं।।
हे कन्हाई गोवर्धनधारी
असुरों को धाम गिनाएं हैं।
गीता की गीत ध्वनि से
जग को पाठ पढ़ाएं हैं।।
                  हे नटवर सुदर्शनधारी
                  भक्ति के तुम स्वामी हो।
                  जिसके अंदर भाव जैसे
                  प्राणों के प्राण स्वामी हो।।
हे केशव पीतांबर धारी
तेरी लीला जो गाए हैं।
सत्य प्रेम करूणा सदा
अंतकरण में पाए है।।

रचना-
प्रो. डीपी कोरी
प्राचार्य
शासकीय महाविद्यालय, विश्रामपुर


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