बलरामपुर। जिला मुख्यालय के धान खरीदी केंद्र पहुंच मार्ग पर बनने वाली मिट्टी मुरम की सड़क पर स्थानीय प्रशासन की नजर का ग्रहण लग गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि किसानों की लंबे समय से मांग किए जाने के बाद जिला पंचायत उपाध्यक्ष धीरज सिंहदेव ने जिला पंचायत विकास निधि ने ग्राम बदकीमहरी में दहेजवार से धान मंडी तक मिट्टी मुरम सड़क निर्माण कार्य स्वीकृत करायी थी, और कार्य भी प्रगति पर थी। ताकि किसानों को किसी प्रकार की परेशानी धान मंडी तक पहुंचने में ना हो, लेकिन अब सुशासन की सरकार किसान हितैषी सरकार के राज में किसानों को सड़क की सुविधा नहीं मिल सकेगी। वहीं स्थानीय प्रशासन ने कलेक्टर राजेंद्र कटारा के निर्देश पर सड़क निर्माण के कार्य में लगे ट्रैक्टर और जेसीबी जप्त कर ली है। स्थानीय प्रशासन का दावा है कि बगैर रॉयल्टी के मुरम की खुदाई अवैध तरीके से की जा रही है।
साहब को आया गुस्सा
दरअसल, घटनाक्रम हुआ ऐसा कि धान खरीदी का जायजा लेने कलेक्टर धान मंडी में पहुंचे थे। इसी दौरान कलेक्टर की नजर मुरम भरे ट्रैक्टरों पड़ी। कलेक्टर ने एसडीएम को मुरम से भरी ट्रैक्टरों के पड़ताल करने के निर्देश दिए।
बता दें कि, मुख्यालय में धान खरीदी के लिए बड़कीमहरी गांव में धान खरीदी केंद्र स्थापित किया गया है और खरीदी केंद्र तक सुगम आवागमन हो, इसके लिए सड़क निर्माण की मांग किसान कर रहे थे। किसानों की मांग पर जिला पंचायत उपाध्यक्ष ने जिला पंचायत विकास निधि से सड़क कच्ची सड़क स्वीकृत कराई थी।
बहरहाल, सड़क निर्माण का कार्य रुक गया है। निर्माण कार्य में लगे ट्रैक्टर और जेसीबी के पहिए थम गए। जिन पर खनिज विभाग कागजी कार्यवाही में जुटा हुआ है।
प्रभारी सचिव शरण को भी लगे थे हिचकोले
जिले के प्रभारी सचिव अवनीश कुमार शरण 18 से 19 नवंबर तक जिले के प्रवास पर रहे। इस दौरान उन्होंने बड़कीमहरी धान मंडी का निरीक्षण किया था और उन्होंने खुद बलरामपुर एसडीएम से कहा था कि कैसे रोड में लेकर आए हो। अब आप खुद समझ सकते है कि जब प्रभारी सचिव को मंडी तक पहुंचने में परेशानी हुई, तो भला किसानों को कितनी परेशानी होती होगी। इसका अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है। इसलिए सड़क बनाया जा रहा था, लेकिन रॉयल्टी का पेच फंसा और थम गए ट्रैक्टर के पहिए।
वैसे मुख्यालय के सेन्दूर, चनान नदी सहित कई ऐसे स्थान है। जहां से अवैध उत्खनन धड़ल्ले से होता है, लेकिन स्थानीय प्रशासन इन सब पर किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं करता है और नियमों का मखौल सड़क में उड़ते धूल के गुब्बारों की तरह उड़ाया जाता है। बात यहां पर प्रशासन के कार्यवाही के विरोध का नहीं है, बल्कि किसानों के साथ जुड़ी भावनाओं का सम्मान का है, ताकि किसानों को मंडी पहुंचने में परेशानी ना हो।
किसानों की पीड़ा का आभास होना चाहिए: धीरज
इधर जिला पंचायत उपाध्यक्ष धीरज सिंहदेव ने कहा कि प्रदेश में सुशासन की सरकार है और भाजपा शुरू से किसान हितैषी रही है। किसानों की मांग पर सड़क निर्माण का कार्य स्वीकृत कराया गया था और काम भी तेजी के साथ पूरा हुआ था, लेकिन स्थानीय प्रशासन ने मुरम का रॉयल्टी मांग कर काम बंद करा दिया। कुल मिलाकर रॉयल्टी से किसानों का कोई लेना देना नहीं है, बात सड़क की थी। प्रशासन को किसानों की पीड़ा का आभास होना चाहिए। ऐसे मामलों में किसी प्रकार का समझौता बर्दाश्त से बाहर है।
विवादों में रहे है कलेक्टर
कलेक्टर राजेंद्र कटारा का विवादों से नाता पुराना पुराना रहा है। बीजापुर में कलेक्टर रहते पूर्व मंत्री महेश गागड़ा और भाजपा नेता अजय सिंह ने गंभीर आरोप लगाए थे। डीएमएफ को लेकर भी कई सवाल उठ खड़े हुए थे। फिलहाल कलेक्टर के कार्यवाही के निर्देश के बाद अब जिला पंचायत उपाध्यक्ष धीरज सिंहदेव ने भी कलेक्टर की कार्यशैली पर तीखा प्रहार किया है।
