
बलरामपुर। शासन द्वारा दी जाने वाली मूलभूत सुविधाओं में से एक स्वास्थ्य सुविधाएं और केंद्र सरकार बचपन में ही जन्मजात बीमारियों का पता लगाकर उसे समूल समाप्त करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम संचालित कर रही है, जिसमें जटिल बीमारियों का निःशुल्क इलाज किया जाता है।
विकासखण्ड वाड्रफनगर के ग्राम सावित्रीपुर निवासी विदास सिंह के यहां पुत्री का जन्म हुआ तो परिवार में खुशी का माहौल था। लेकिन परिवार में खुशी उस समय थोड़ी फीकी पड़ गईं। जब चिकित्सकों ने बताया कि 5 माह की पुत्री समायरा को क्लब फुट की जन्मजात स्थिति है। विदास सिंह विगत दो सप्ताह पूर्व नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचे। जहां चिकित्सकों ने बताया कि बच्ची का पैर अंदर की ओर मुड़ा हुआ है। जिससे वह आगे चलने में असमर्थ हो सकती है।
तब उन्हें जानकारी दी गई कि जिला अस्पताल बलरामपुर में प्रत्येक गुरुवार को चिरायु दिवस पर विभिन्न प्रकार की जन्मजात बीमारियों का निःशुल्क उपचार किया जाता है। इसी कड़ी में विदास सिंह ने अपनी पुत्री समायरा को जिला अस्पताल लाकर चिरायु दल से संपर्क किया। यहाँ हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. विनय गुप्ता ने समायरा का परीक्षण कर तुरंत उपचार शुरू किया। जहां समायरा का विगत गुरुवार चिरायु दिवस पर सफल उपचार कर लिया गया। विदास सिंह बताते है कि हमें लगा था कि बेटी के पैर का इलाज हम शायद नहीं करवा पाएंगे, लेकिन चिरायु दिवस के माध्यम से जिला अस्पताल में मदद मिली, इसके लिए उन्होंने शासन-प्रशासन को धन्यवाद दिया है।
कलेक्टर राजेन्द्र कटारा के निर्देशन एवं जिला पंचायत सीईओ नयनतारा सिंह तोमर के मार्गदर्शन में जिले में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम अंतर्गत प्रत्येक गुरुवार को चिरायु दिवस के माध्यम से जन्मजात विकृतियों की पहचान कर उपचार की दिशा में कार्य किया जा रहा है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बसंत सिंह ने बताया कि क्लब फुट एक ऐसी स्थिति है, जिसमें बच्चे का पैर अंदर की ओर मुड़ जाता है और समय रहते इलाज से पूरी तरह ठीक हो सकता है। उन्होंने जिले वासियों से अपील की है कि यदि किसी बच्चे में जन्म के समय कोई असामान्य स्थिति दिखे तो निकटतम स्वास्थ्य केंद्र में जाकर चिरायु दल से संपर्क करें।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि प्रत्येक गुरूवार को जिले के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यकम अन्तर्गत चिरायु दिवस मनाया जाता है, जिसमें चिरायु दलों द्वारा केटगरी अनुसार बच्चों को निकट के स्वास्थ्य केन्द्रों में उपचार के लिए लाया जाता है। पहले ऐसी स्थिति में परिजनों को इलाज के लिए अम्बिकापुर जैसे बड़े शहर जाना पड़ता था, जिससे आर्थिक और मानसिक दोनों तरह की परेशानियाँ आती थीं। लेकिन अब स्थिति बदल गई है।
शासन-प्रशासन के प्रयासों से जिला अस्पताल में ही उपचार किया जा रहा है। वर्ष 2024 में चिन्हांकित 14 बच्चों में से 11 बच्चों का सफलतापूर्वक उपचार हो चुका है। जबकि 2025 में चिन्हांकित 12 बच्चों में से 3 बच्चों को सफलतापूर्वक इलाज मिल चुका है। बाकी बच्चों का शीघ्र उपचार किया जाएगा।