– आपराधिक मामलों में मुकदमे की समाप्ति के 45 दिनों के अंदर निर्णय देना अनिवार्य होगा
बलरामपुर। भारत सरकार द्वारा लागू किये गए तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता एवं भारतीय साक्ष्य अधिनियम भारत के न्याय व्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन है। ये कानून ब्रिटिश काल के तीन आपराधिक कानूनों के बदले लाए गए हैं। ये कानून संसद के पिछले सत्र में ही पारित हो गए थे मगर इन्हें लागू 01 जुलाई को किया गया है। इस नए कानून का समाज पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ेगा। इन कानूनों के कुछ प्रमुख फायदे हैं।
समय पर न्याय
नए कानून में प्रयास किया गया है कि तीन साल में न्याय मिल जाए। 35 सेक्सनों में समय-सीमा जोड़ा गया है। इलेक्ट्रानिक माध्यम से शिकायत देने पर 3 दिन में एफआईआर दर्ज कराने का भी प्रावधान है। यौन उत्पीड़न के मामले में जांच रिपोर्ट 7 दिन के भीतर भेजनी होगी। पहली सुनवाई के 60 दिन के भीतर आरोप तय किया जाएगा। आपराधिक मामलों में मुकदमे की समाप्ति के 45 दिनों के अंदर निर्णय देना अनिवार्य होगा।
नए कानून दण्ड नहीं न्याय केंद्रित होंगे। छोटे अपराधों में सामुदायिक सजा का प्रावधान होगा। जो कि भारतीय न्याय दर्शन के अनुरूप है। 5000 रुपये से कम की चोरी पर कम्युनिटी सर्विसेज का प्रावधान होगा। 6 अपराधों में कम्युनिटी सर्विसेज को शामिल किया गया है।
महिलाओं एवं बच्चों के खिलाफ अपराध को मुख्य वरीयता दी गई है। भारतीय न्याय संहिता में महिलाओं एवं बच्चों के प्रति अपराध पर नया अध्याय जोड़ा गया है जिसमें 35 धाराएँ से और 13 नए प्रावधान हैं। इस कानून में गैंगरेप पर 20 साल की सजा या आजीवन कारावास का प्रावधान है। नाबालिग के खिलाफ सामूहिक बलात्कार पर मौत की सजा या आजीवन कारावास का भी प्रावधान है भारतीय न्याय संहिता में झूठा वादा करके या पहचान छिपाकर यौन संबंध बनाकर बनाने को एक अपराध माना है। कानून ने यह अनिवार्य किया है कि पीड़िता का बयान उसके आवास पर एक महिला अधिकारी द्वारा उसके अभिभावक के समक्ष रिकार्ड किया जाएगा।
नए कानूनों में तकनीक का भी भरपूर उपयोग किया गया है। तकनीकों के उपयोग से इसे विश्व की सबसे आधुनिक न्याय प्रणाली बनाने का प्रयास किया गया है. ताकि अगले 50 साल तक आने वाली सभी आधुनिक तकनीक इसमें समाहित हो सके। पुलिस जांच से लेकर कोर्ट तक की सभी प्रक्रिया कम्प्यूटरीकृत होगी एवं उनका ई-रिकार्ड रखा जाएगा। जीरो एफआईआर व ई-एफआईआर चार्जशीट सभी डिजिटल होगी। 07 साल या अधिक की सजा वाले मामलों में फोरेंसिक अनिवार्य होगा। पुलिस सर्च की पूरी प्रकिया की विडियोग्राफी की जाएगी। बलात्कार पीड़िता का ई-बयान लिया जा सकेगा एवं कोर्ट में आडियो-विडियो रिकार्डिंग प्रस्तुत की जा सकेगी। गवाहों, आरोपियों, विशेषज्ञों एवं पीड़ितों की इलेक्ट्रानिक माध्यम से पेशी की जा सकेगी।
नए कानूनों में फारेंसिक को बढ़ावा दिया जा रहा हैं। अपराध के इन्वेस्टीगेशन में साइंटिफिक पद्धति को बढ़ावा दिया जाएगा। सभी राज्यों एवं संघ राज्य क्षेत्रों में 5 वर्ष तक फॉरेंसिक का इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा। राज्यों में जगह-जगह लैब बनाने की भी व्यवस्था की जाएगी। इन कानूनों में पहली बार माँब लिचिंग को परिभाषित किया गया है एवं 07 वर्ष की कैद का प्रावधान किया गया है। माँब लिचिंग में स्थायी विकलांगता होने पर 10 वर्ष की सजा या आजीवन कारावास का भी प्रावधान होगा।
विक्टिम सेंट्रिक कानून के 3 मुख्य प्रावधान होंगे-(अ) विक्टिम को अपनी बात रखने का मौका दिया जाएगा। (ब) जानकारी का अधिकार दिया जाएगा। (स) नुकसान के लिए क्षतिपूर्ति का अधिकार दिया जाएगा। इन कानूनों के तहत अब जीरो एफआईआर कहीं भी दर्ज किया जा सकता है। विक्टिम को एफआईआर की एक प्रति निःशुल्क प्राप्त करने का अधिकार होगा एवं 90 दिनों के भीतर जांच में प्रगति की जानकारी भी दी जाएगी।
राजद्रोह को हटाना एवं देशद्रोह की व्याख्या अंग्रेजों का राजद्रोह कानून देश के लिए नहीं बल्कि शासन के लिए था। राजद्रोह को जड़ से समाप्त किया जाएगा लेकिन देशविरोधी हरकतों के लिए कठोर सजा का प्रावधान होगा। भारत की संप्रभुता एवं अखंडता के खिलाफ कार्य करने पर 07 साल तक या आजीवन कारावास की सजा भी हो सकती है। पुलिस की जवाबदेही में इजाफा इन कानूनों के तहत् अब सर्च और जब्ती में विडियोग्राफी अनिवार्य होगा। पुलिस द्वारा गिरफ्तार व्यक्तियों की सूचना देना अब अनिवार्य होगा। 03 वर्ष से कम या 60 वर्ष से अधिक उम्र में पुलिस अधिकारी की पूर्व अनुमति अनिवार्य होगी। 20 अधिक ऐसी धाराएँ हैं। जिनमें पुलिस की जवाबदेही सुनिश्चित होगी। पहली बार प्रारंभिक सुनवाई का भी प्रावधान किया गया है।