आज हमर पुरा देश म तीज व्रत हे महतारी मन मैइके म रहके अपन सुहाग के रक्षा बर निरजला उपवास हावय अऊ मईया ल गोहरावत हावय।
!! तीजा !!
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हे आदि भवानी मईया
मैं तोला सुमिरत हव।
भोला के अर्धागिनी तय
मै तोला मनावत हव।।
तही ह शारदा मईया
तही ह जग ल तारे हच
नव दुर्गा रूप लेके
असुर मन ला मारे हच।।
तही ह शक्ति दाई मईया
तही जगत महतारी।
तोरे रूप काली चंडी
बघवा के हे सवारी।।
तोरे व्रत ले मईया
अखंड हावय सुहागन।
चुड़ी अऊ सिंदुर के
अचल हावय आंगन।।
तही लीला करके
जग ल बताए हच।
भारी तप ल करके
शंकर ल पाए हच।।
तोरे शरन म मईया
डंडा शरन हावन।
राखबे दुलार मईया
विनती ल करथन।।
रचना-
प्रो. डीपी कोरी
प्राचार्य
शासकीय महाविद्यालय, बिश्रामपुर