International Day of the World’s Indigenous Peoples: आज विश्व आदिवासी दिवस है प्राकृतिक पर्यावरण को सुरक्षा करने मे एवं प्रकृति के साथ रहकर जीवन निर्वाह करने का स्वभाव अद्भुत है।
!! जय आदिवासी !!
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सहज सरल के अनुयायी
बोली है मधुर।
अपने सुध में लिपटे हुए
नही है कोई गुरूर।।
नीर कानन और धरा
अनुराग है अनमोल।
सकल संपदा है इनकी
किये नही कभी मोल।।
वेशभूषा संस्कृति से
नही है इनका मोल।
अटूट प्रेम हृदय में
कभी ना तौले तोल।।
धरती का सम्मान करे
वृक्षदेव से नाता है।
गाए हैं जल की महिमा
जल में मन लगाता है।।
पूर्वजों की कीर्ति है
किए राम की सेवा।
वही पुन्य पुंज है
विराजे है बड़ा देवा।।
गुजर बसर का ढंग है
ढपली में अपनी राग।
सबसे राखे मीत है
मूल संस्कृति में वैराग।।
अब बदले है करवट
बढ़ चले है कदम।
भाव से दूर हुवे
साहस हो गए अदम।।
प्रो. डीपी कोरी
प्राचार्य
शासकीय महाविद्यालय, विश्रामपुर