हमर छत्तीसगढ़ म आज कमरछठ ये आज जम्मो महतारी मन अपन लईका मन बर उपवास रहिके षष्ठी मईया के पुजा करही अऊ हलधर बलराम जी के जनम तको हावय।
!! सगरी !!
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हे हलषष्ठी दाई ओ
विनती करथव तोर।
मया के मूरत दाई
तय घर आबे मोर।।
सगरी बनाहव मै
पुजा ल करिहव तोर।
चढाहव मै पान सुपारी
रक्षा ल करबे मोर।।
नहाहव मैं कुआं म
महुवा के हे दतुवन।
तन का रखिहव सुग्घर
बोलिहव मै मधुबन।।
छयियो छ के भाजी
चलय न जहा नागर।
भोग मै लगाहव दाई
रही न कोई आगर।।
हावय पसहर चाऊर
पत्ता के हावय थारी।
करबे तय दया ल दाई
चरन म हावन नारी।।
नई जानव पुजा दाई
मया ल तय ह करिबे।
करथव गुहार दाई
दुःख ल तय हरिबे।।
रचना –
प्रो. डीपी कोरी
प्राचार्य
शासकीय महाविद्यालय, विश्रामपुर