
नई दिल्ली। गरीबी की मार झेल रहे लोगों के लिए सरकारी नोटिस अक्सर पहाड़ बनकर टूटते हैं, लेकिन गुजरात के एक मजदूर पर जो बीता, उसने पूरे देश को चौंका दिया। साबरकांठा जिले के ईडर तहसील के रतनपुर गांव में रहने वाले जितेशभाई मकवाना को सरकार ने 36 करोड़ रुपए का जीएसटी बकाया भरने का नोटिस थमा दिया। जिस शख्स की मासिक आय महज 12 हजार रुपए है, जिसका बैंक बैलेंस सिर्फ 12 रुपए है और जो किसी तरह मजदूरी करके अपने परिवार का पेट पालता है- उसे इतने भारी-भरकम टैक्स का जिम्मेदार ठहराया गया है।
36 करोड़ का नोटिस देख रो पड़ा परिवार
जितेशभाई एक निजी कंपनी में मामूली सी नौकरी करते हैं और उनका परिवार इंदिरा आवास योजना का लाभार्थी भी है- जो उनकी आर्थिक स्थिति का साफ संकेत है। मगर, जब इनकम टैक्स विभाग ने उन्हें करोड़ों की टैक्स वसूली का नोटिस थमाया, तो पूरा परिवार स्तब्ध रह गया। चार दिन से उनकी मां, पत्नी और बहन तक रोती-बिलखती हैं कि आखिर इतने पैसे कहां से लाएंगे।
पहले भी आया था नोटिस, अब फिर दोहराया गया झटका
यह पहली बार नहीं है जब जितेशभाई को इस तरह का नोटिस मिला हो। वर्ष 2021-22 में भी उन्हें करोड़ों के टैक्स का नोटिस थमाया गया था। उस समय भी परिवार हैरान-परेशान था, लेकिन इस बार 36 करोड़ की रकम सुनकर जैसे सब कुछ उजड़ गया हो। जितेशभाई का कहना है कि उन्होंने इस संबंध में स्थानीय पुलिस से लेकर इनकम टैक्स और जीएसटी ऑफिस तक गुहार लगाई, लेकिन हर जगह से उन्हें टाल दिया गया।
मजदूरी से चलता है घर, फिर आया करोड़ों का बोझ
जितेशभाई रोज़ाना 200-350 रुपए की मजदूरी कर किसी तरह अपनी विधवा मां, बहन, पत्नी और दो बच्चों का पेट पालते हैं। ऐसे में 36 करोड़ का नोटिस मिलना उनके लिए किसी वज्रपात से कम नहीं। उन्होंने बार-बार अधिकारियों को समझाया कि उनकी आमदनी इतनी नहीं कि वो इतने भारी टैक्स का भुगतान कर सकें, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
सरकारी तंत्र पर उठ रहे सवाल
अब समाज के लोग और सोशल मीडिया पर यूजर्स सरकार और आयकर विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं। लोग पूछ रहे हैं कि जब एक गरीब मजदूर इंदिरा आवास योजना का लाभार्थी है, तब उस पर इतने बड़े टैक्स बकाया का नोटिस कैसे भेजा गया? कहीं यह साइबर ठगी या दस्तावेजों का दुरुपयोग तो नहीं?
जितेश का दर्द: “अब कहां जाऊं?”
जितेश कहते हैं, “मैं जीएसटी ऑफिस गया, तो उन्होंने पैसे भरने को कहा। साइबर क्राइम ने कहा कि ये हमारा काम नहीं, थाने जाओ। थाना कहता है कि पहले ही बता दिया था कि ये हमारा काम नहीं। अब मैं क्या करूं, किसके पास जाऊं?”
क्या यह फर्जीवाड़ा है? जांच की जरूरत
विशेषज्ञों का मानना है कि यह किसी बड़े फर्जीवाड़े का हिस्सा हो सकता है, जिसमें गरीब लोगों के नाम पर फर्जी कंपनियां खोलकर जीएसटी रजिस्ट्रेशन कर दिए जाते हैं और बाद में उनके नाम पर टैक्स बकाया का नोटिस भेज दिया जाता है। ऐसे मामलों में उचित जांच और पीड़ित को कानूनी सहायता की तत्काल जरूरत होती है।
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