
Aghori Sadhu: अघोरी साधुओं को हिंदू धर्म में एक रहस्यमयी और शक्तिशाली तपस्वी के रूप में जाना जाता है। ये साधु जीवन और मृत्यु के बंधनों से परे श्मशान भूमि में अपनी साधना करते हैं। अघोरी साधुओं को न केवल अपने कठोर नियमों और तंत्र साधनाओं के लिए जाना जाता है, बल्कि इनकी साधना पद्धति को सबसे कठिन और रहस्यमय भी माना गया है।
अघोरी बनने की प्रक्रिया में तीन कठिन परीक्षाओं का सामना करना पड़ता है। ये परीक्षाएं इतनी चुनौतीपूर्ण होती हैं कि इन्हें पार किए बिना अघोरी बनने की कल्पना नहीं की जा सकती। आइए जानते हैं अघोरी बनने की इन तीन प्रमुख परीक्षाओं के बारे में।
1. हरित दीक्षा: शुरुआत की कठिन परीक्षा
अघोरी बनने का पहला चरण हरित दीक्षा है। इसमें गुरु अपने शिष्य को गुरुमंत्र प्रदान करता है। यह मंत्र शिष्य के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा और एकाग्रता का आधार बनता है। शिष्य को नियमित रूप से इस मंत्र का जाप करना पड़ता है ताकि उसकी मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति विकसित हो सके। हरित दीक्षा से ही शिष्य अघोरी पथ पर कदम बढ़ाना शुरू करता है।
2. शिरीन दीक्षा: तंत्र साधना का गूढ़ मार्ग
इस चरण में शिष्य को तंत्र साधनाओं की गहराई में प्रवेश करना पड़ता है। शिरीन दीक्षा के दौरान शिष्य को श्मशान भूमि में तपस्या करनी होती है। इस कठिन साधना में उसे प्राकृतिक चुनौतियों जैसे सांप, बिच्छू, सर्दी, गर्मी और बारिश का सामना करना पड़ता है। यह दीक्षा शिष्य को भय से मुक्त करना सिखाती है और उसे तंत्र की गूढ़ शक्तियों से परिचित कराती है।
3. रंभत दीक्षा: जीवन और मृत्यु का अंतिम समर्पण
रंभत दीक्षा अघोरी बनने की अंतिम और सबसे कठिन परीक्षा है। इस चरण में शिष्य को अपने जीवन और मृत्यु का अधिकार अपने गुरु को सौंपना होता है। गुरु जो भी आदेश दें, शिष्य को उसे बिना सवाल किए पालन करना पड़ता है। यह दीक्षा शिष्य के भीतर छिपे अहंकार को नष्ट करती है और उसे पूर्ण समर्पण की स्थिति में लाती है।
इस दौरान शिष्य को कई बार अपनी जान तक दांव पर लगानी पड़ती है। माना जाता है कि इस परीक्षा के बाद ही शिष्य अघोरी साधु बनने के योग्य बनता है।
अघोरी साधुओं का भयमुक्त जीवन
इन कठिन परीक्षाओं को पार करने के बाद, अघोरी साधु जीवन और मृत्यु से परे हो जाते हैं। वे भौतिक सुख-दुख और भय के बंधनों से मुक्त होकर भगवान शिव और मां काली की उपासना में लीन हो जाते हैं। यही कारण है कि अघोरी साधुओं को किसी भी प्रकार का भय नहीं होता।
(Disclaimer: यह जानकारी धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित है। इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इस लेख का उद्देश्य केवल जानकारी प्रदान करना है। – इंस्टैंट इंडिया न्यूज)